भारत का संविधान केवल नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा नहीं करता, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग — बच्चों — की भी रक्षा करता है। अनुच्छेद 24 (Article 24) इसी दिशा में एक मजबूत कदम है, जो यह सुनिश्चित करता है कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी खतरनाक उद्योग, फैक्ट्री या खदान में काम पर नहीं लगाया जाएगा। आज जब भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है, तब यह अनुच्छेद केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय दृष्टि से भी अत्यंत आवश्यक बन जाता है।
अनुच्छेद 24 क्या है और इसका उद्देश्य (What is Article 24 and its Purpose)
अनुच्छेद 24, भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) के अंतर्गत आता है। इसका स्पष्ट प्रावधान कहता है —
“14 वर्ष से कम आयु का कोई बालक किसी फैक्ट्री, खदान या किसी अन्य जोखिमपूर्ण कार्य में नियोजित नहीं किया जाएगा।”
इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य बच्चों को शोषण और जोखिमपूर्ण श्रम से बचाना है। भारत जैसे विकासशील देश में, गरीबी और शिक्षा की कमी के कारण कई बच्चे मजबूरन काम पर जाते हैं। यह अनुच्छेद उन्हें इस चक्र से निकालने और शिक्षा, सुरक्षा और समान अवसर देने की कोशिश करता है।

वास्तविक आंकड़े (Realistic Data):
- भारत में ILO (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन) की रिपोर्ट (2023) के अनुसार, लगभग 1.01 करोड़ बच्चे (5-14 वर्ष आयु वर्ग) अब भी किसी न किसी प्रकार के श्रम में संलग्न हैं।
- इनमें से लगभग 20% बच्चे जोखिमपूर्ण कार्यों जैसे खदान, निर्माण, या रासायनिक कारखानों में काम करते हैं।
- यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार, भारत में हर साल करीब 5 लाख बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर मजदूरी करने लगते हैं।
इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि अनुच्छेद 24 का पालन सिर्फ कानून तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन भी आवश्यक है।
अनुच्छेद 24 क्यों जरूरी है (Why Article 24 is Important)
भारत में गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी आज भी बाल श्रम की सबसे बड़ी वजह हैं। जब परिवार की आय पर्याप्त नहीं होती, तब बच्चे मजदूरी के लिए मजबूर हो जाते हैं। यही कारण है कि अनुच्छेद 24 जरूरी है, ताकि बच्चों को मजदूरी के जाल से निकालकर शिक्षा की ओर मोड़ा जा सके।
अनुच्छेद 24 की आवश्यकता इन कारणों से है:
- बच्चे देश का भविष्य हैं, उन्हें खतरनाक कामों से दूर रखना राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है।
- बाल श्रम स्वास्थ्य और मानसिक विकास को बुरी तरह प्रभावित करता है।
- शिक्षा से वंचित रहना बच्चे को गरीबी के उसी दुष्चक्र में बनाए रखता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, वर्ष 2024 में बाल श्रम से संबंधित 4,200 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जो यह दर्शाता है कि कानून होने के बावजूद इसका उल्लंघन जारी है। सरकार द्वारा लागू बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम 2016 ने इसे और सख्त बनाया। इस अधिनियम के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कोई भी काम कराना अपराध है, जबकि 14-18 वर्ष के किशोरों को केवल “गैर-जोखिमपूर्ण कार्यों” में ही अनुमति दी जा सकती है।

अनुच्छेद 24 के फायदे (Benefits of Article 24 in India)
(1) शिक्षा को प्रोत्साहन:
अनुच्छेद 24 ने बच्चों को स्कूल भेजने की राह खोली है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009 के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करता है कि 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मिले।
➡️ नतीजतन, भारत में प्राथमिक शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio) 2024 में 98.4% तक पहुंच चुका है।
(2) सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य:
बाल मजदूरी से बच्चों को कई बीमारियां होती हैं – जैसे फेफड़ों की समस्या, कुपोषण और मानसिक तनाव। अनुच्छेद 24 ने इन्हें रोकने में मदद की है।
(3) गरीबी चक्र को तोड़ना:
शिक्षित बच्चा भविष्य में बेहतर रोजगार पाता है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरती है। यह अनुच्छेद गरीब परिवारों के लिए दीर्घकालिक राहत देता है।
(4) अंतरराष्ट्रीय छवि में सुधार:
बाल श्रम के मामलों में कमी आने से भारत की छवि वैश्विक स्तर पर सुधर रही है। ILO Child Labour Index (2023) में भारत ने पिछली रैंकिंग की तुलना में 12 स्थानों का सुधार किया।
अनुच्छेद 24 की सीमाएं और चुनौतियाँ (Limitations and Drawbacks of Article 24)
हालाँकि अनुच्छेद 24 अत्यंत उपयोगी है, लेकिन इसके कुछ व्यावहारिक नकारात्मक पहलू भी हैं:
(1) ग्रामीण क्षेत्रों में लागू न होना:
कई गाँवों में जागरूकता की कमी और गरीबी के कारण बच्चे आज भी खेतों, ईंट भट्टों या घरेलू कामों में लगे हैं। कानून होने के बावजूद, ग्रामीण भारत में लगभग 70% बाल मजदूर पाए जाते हैं।
(2) पारिवारिक व्यवसाय में छूट:
2016 के संशोधन के तहत बच्चों को पारिवारिक व्यवसाय में मदद करने की अनुमति है। लेकिन कई बार इसका दुरुपयोग कर बच्चे पूरे दिन काम में लगाए जाते हैं।
(3) शिक्षा की गुणवत्ता:
स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता खराब होने से बच्चे मजदूरी को ही आसान रास्ता मानते हैं। शिक्षा और रोजगार के बीच समन्वय की कमी एक बड़ी चुनौती है।
(4) निगरानी तंत्र की कमजोरी:
सरकारी विभागों के पास पर्याप्त निरीक्षक नहीं हैं। ILO डेटा (2023) के अनुसार, भारत में प्रति 1 लाख बच्चों पर केवल 8 श्रम निरीक्षक हैं, जबकि आवश्यकता कम से कम 25 की है।

डॉ. भीमराव आंबेडकर और अनुच्छेद 24: श्रमिकों के अधिकारों के रक्षक
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान में श्रमिक वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े, जिनमें अनुच्छेद 24 (Article 24) विशेष रूप से बाल श्रम (Child Labour) की रोकथाम से जुड़ा है। यह अनुच्छेद 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी फैक्ट्री, खदान या खतरनाक कार्यों में रोजगार देने पर प्रतिबंध लगाता है। डॉ. अंबेडकर का मानना था कि भारत तभी प्रगति करेगा जब हर बच्चा शिक्षा प्राप्त करेगा, न कि सस्ते श्रम का साधन बनेगा। उनके श्रम कानून (Labour Law) बनाने का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को समान अवसर और सम्मानजनक जीवन प्रदान करना था।
बाल श्रम कानून का उद्देश्य और महत्व
डॉ. अंबेडकर ने Child Labour Law बनाकर भारत के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया। उनका उद्देश्य था कि बच्चे शिक्षा और कौशल विकास से देश के निर्माण में योगदान दें, न कि गरीबी और शोषण के शिकार बनें। अनुच्छेद 24 ने भारत में सामाजिक न्याय की नींव रखी और औद्योगिक विकास को मानवीय मूल्यों से जोड़ा। यह कानून आज भी “डॉ. अंबेडकर श्रम सुधार नीति, बाल श्रम उन्मूलन, और शिक्षा का अधिकार” जैसे SEO Keywords से जुड़ा एक प्रेरणास्रोत है, जो हर नागरिक को यह संदेश देता है कि बच्चों का बचपन उनका अधिकार है, न कि किसी का रोजगार।
निष्कर्ष (Conclusion): बाल श्रम मुक्त भारत की ओर
अनुच्छेद 24 केवल एक संवैधानिक प्रावधान नहीं, बल्कि भारत के नैतिक और सामाजिक विकास की आधारशिला है। यह बच्चों को न सिर्फ मजदूरी से बचाता है बल्कि उन्हें शिक्षा, सम्मान और उज्जवल भविष्य का अवसर देता है। हालांकि अभी भी बाल श्रम के मामले सामने आते हैं, लेकिन सरकार, समाज और नागरिकों के संयुक्त प्रयास से “बाल श्रम मुक्त भारत (Child Labour Free India)” का सपना पूरा किया जा सकता है।
हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह बाल श्रम का विरोध करे, शिक्षा को बढ़ावा दे और किसी भी बच्चे को मजदूरी करते देख तुरंत शिकायत करे। तभी अनुच्छेद 24 की असली भावना जीवित रहेगी —
“हर बच्चा पढ़ेगा, तभी भारत बढ़ेगा।”
Writer – Sita Sahay











