नेपाल में घटित घटनाक्रम से सबक लेते हुए ये सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्ता और नीतियों का लाभ समाज के हर वर्ग तक समान रूप से पहुँचे – चंद्रशेखर आजाद
सत्ता का केंद्रीकरण और जनता का संघर्ष
विश्व इतिहास इस तथ्य का साक्षी है कि जब सत्ता किसी एक समुदाय या विचारधारा के हाथों में सिमट जाती है, तब बहुसंख्यक जनता की उपेक्षा होना तय है। सत्ता का केंद्रीकरण न केवल सामाजिक असमानता को जन्म देता है, बल्कि यह आम नागरिकों को अधिकारविहीन बना देता है। इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था के कारण बार-बार विद्रोह और आंदोलनों की चिंगारी भड़की है, जिसने व्यवस्था को हिलाकर रख दिया।

भ्रष्ट तंत्र और जनजीवन पर असर
भ्रष्ट तंत्र के सहारे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सत्ता पर लंबे समय तक कब्जा कायम रखा गया। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव आम जनता के जीवन पर पड़ा—बेरोजगारी बढ़ी, गरीबी गहराई और लोग लाचारी की ओर धकेले गए। जब जनता को रोज़मर्रा की ज़रूरतों से भी वंचित किया गया, तब उनके पास विद्रोह और बदलाव की राह चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
भारत-नेपाल की समान परिस्थितियाँ
आज भारत में भी कुछ हालात चिंताजनक होते नज़र आ रहे हैं। सामाजिक और आर्थिक असमानता, बेरोजगारी, और नीतिगत खामियाँ जनता में असंतोष पैदा कर रही हैं। नेपाल में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब जनता की आवाज़ को अनसुना किया जाता है, तो अस्थिरता अनिवार्य हो जाती है। भारत और नेपाल की चुनौतियाँ कई मायनों में समान हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि भारत के पास एक मजबूत संविधान है, जो लोकतंत्र को जीवित रखता है।

भारत का संविधान ही वह धुरी है, जो समाज के हर वर्ग को बराबरी और न्याय का आश्वासन देता है। अतः @GovtOfIndia_ को नेपाल की परिस्थितियों से सबक लेते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्ता और नीतियों का लाभ केवल कुछ वर्गों तक सीमित न रह जाए। लोकतंत्र तभी सशक्त होगा, जब हर नागरिक को समान अवसर और अधिकार प्राप्त होंगे। यही भारत के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है।
Writer – Sita Sahay











