भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 (Article 11 of Indian Constitution) नागरिकता से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह संविधान के भाग II (Part II) में सम्मिलित है, जिसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 11 तक भारतीय नागरिकता (Indian Citizenship) से जुड़े सभी प्रावधान दिए गए हैं। संविधान निर्माताओं ने यह सुनिश्चित किया कि भारत में नागरिकता का निर्धारण केवल संविधान तक सीमित न रहे, बल्कि संसद को इस विषय पर कानून बनाने की शक्ति दी जाए। इसीलिए अनुच्छेद 11 के माध्यम से संसद को यह अधिकार प्रदान किया गया कि वह समय और परिस्थिति के अनुसार नागरिकता प्राप्त करने, समाप्त करने और उससे जुड़े नियमों को निर्धारित कर सके। यह अनुच्छेद भारतीय लोकतंत्र के लचीलापन (Flexibility) और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार बदलाव करने की क्षमता को दर्शाता है।
अनुच्छेद 11 का मूल प्रावधान और उसका अर्थ
संविधान का अनुच्छेद 11 कहता है —
“संसद को यह अधिकार होगा कि वह कानून बनाकर यह तय करे कि नागरिकता का अधिग्रहण (acquisition) और उसका त्याग (termination) किस प्रकार किया जाएगा।”
इसका सीधा अर्थ यह है कि संविधान ने केवल नागरिकता की बुनियाद रखी है, जबकि उसके क्रियान्वयन की पूरी जिम्मेदारी संसद को दी गई है।
अनुच्छेद 11 संसद को यह शक्ति देता है कि वह तय करे —
- कौन व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है,
- कौन नागरिकता खो सकता है या त्याग सकता है,
विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने की प्रक्रिया क्या होगी।
संविधान के निर्माताओं ने यह माना कि समय के साथ नागरिकता से जुड़ी परिस्थितियाँ बदलेंगी — जैसे शरणार्थियों की स्थिति, प्रवास, दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) आदि। इसलिए एक स्थायी संवैधानिक प्रावधान की जगह संसद को अधिकार देना ज्यादा व्यावहारिक समझा गया। यही कारण है कि अनुच्छेद 11 को भारतीय नागरिकता व्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।

भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955: अनुच्छेद 11 की परिणति
अनुच्छेद 11 के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए भारतीय संसद ने “भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 (Citizenship Act, 1955)” पारित किया। यह अधिनियम नागरिकता प्राप्त करने, उसे बनाए रखने और खोने के सभी नियम तय करता है।
इस अधिनियम के अनुसार, कोई व्यक्ति निम्नलिखित तरीकों से भारतीय नागरिक बन सकता है:
- जन्म से (By Birth)
- वंश से (By Descent)
- पंजीकरण से (By Registration)
- प्राकृतिककरण से (By Naturalization)
- किसी क्षेत्र के भारत में मिल जाने से (By Incorporation of Territory)
वर्षों के दौरान इस अधिनियम में कई संशोधन (Amendments) किए गए —
- 1986 में: भारत में जन्म से नागरिकता के नियमों को सख्त किया गया।
- 2003 में: अवैध प्रवासियों (Illegal Migrants) से संबंधित प्रावधान जोड़े गए।
- 2019 में: नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act – CAA) लाया गया, जो कुछ विशेष धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त करता है।
इस प्रकार अनुच्छेद 11 की बदौलत संसद बदलते समय के अनुसार नागरिकता से जुड़े नियमों को संशोधित करती रही है, जिससे भारतीय नागरिकता प्रणाली जीवंत और अद्यतन बनी रहती है।
अनुच्छेद 11 का महत्व और वर्तमान परिप्रेक्ष्य
अनुच्छेद 11 भारत की संवैधानिक संरचना में एक गतिशील (Dynamic) और व्यवहारिक (Pragmatic) दृष्टिकोण का उदाहरण है।
यह अनुच्छेद दिखाता है कि संविधान ने हर परिस्थिति का पूर्वानुमान लगाकर संसद को लचीलापन प्रदान किया है। नागरिकता एक ऐसा विषय है जो सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़ा है।

आज जब वैश्वीकरण (Globalization) के दौर में सीमाएँ धुंधली हो रही हैं और प्रवासन (Migration) बढ़ रहा है, तब अनुच्छेद 11 की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। Citizenship Amendment Act (CAA) जैसी नीतियाँ इसी अनुच्छेद के अंतर्गत संसद की शक्ति का परिणाम हैं। इसके अलावा, यह अनुच्छेद भारत को यह सुविधा देता है कि वह अपने नागरिकता कानूनों को समयानुकूल बनाए रख सके — चाहे वह Dual Citizenship, Overseas Citizenship of India (OCI) कार्डधारकों से संबंधित मुद्दे हों या शरणार्थी नीति।
अनुच्छेद 11 भारतीय लोकतंत्र की लचीलापन का प्रतीक
संविधान का अनुच्छेद 11 यह दर्शाता है कि भारतीय लोकतंत्र सिर्फ स्थिर नहीं, बल्कि परिवर्तनीय और समयानुसार अनुकूलनीय है। नागरिकता से संबंधित मामलों को संसद के अधीन रखने का निर्णय दूरदर्शिता का परिणाम था।
आज भारत विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति है, और उसकी नागरिकता नीतियाँ बदलते अंतरराष्ट्रीय माहौल के अनुरूप ढल रही हैं। अनुच्छेद 11 ने यह सुनिश्चित किया कि भारत हमेशा अपनी संप्रभुता (Sovereignty) और राष्ट्रीय हितों के अनुसार नागरिकता नीति तय करने में सक्षम रहे।
इस प्रकार, Article 11 of Indian Constitution केवल एक कानूनी प्रावधान नहीं, बल्कि भारत की संवैधानिक लचीलापन (Constitutional Flexibility) और राष्ट्रीय नीति निर्धारण की स्वायत्तता (Autonomy) का प्रतीक है।
Writer – Sita Sahay











