हाल-फिलहाल हुए Gen Z-प्रेरित विरोध प्रदर्शन में सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध नेपाल की मौजूदा स्थिति का प्रमुख कारण रहा, नेपाल आज एक बहुत ही व्यथित और तनावपूर्ण दौर से गुजर रहा है। जिसने युवा वर्ग में व्यापक नाराजगी पैदा की। ये प्रदर्शनों ने कई सरकारी भवनों को आग के हवाले कर दिया, संसद में आग लगी, जेलों पर हमले हुए और 13,400 से अधिक कैदी फरार हो गए। हिंसा में अब तक लगभग ३० लोगों की मौत हुई और 1050 घायल हुए हैं।

नेपाल इन दिनों एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। हाल ही में शुरू हुए युवा-आंदोलन ने पूरे देश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को हिला कर रख दिया है। सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध ने आग में घी का काम किया, जिसके बाद हजारों युवा सड़कों पर उतर आए। देखते ही देखते यह विरोध हिंसक रूप ले गया और संसद भवन, जेल तथा अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले हुए। इस दौरान कई लोगों की जान गई और हजारों घायल हुए।
स्थिति बिगड़ने पर सरकार ने सेना को तैनात किया और राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में कर्फ़्यू लगा दिया गया। प्रधानमंत्री के.पी. ओली ने इस्तीफा देने की घोषणा की, लेकिन वे अस्थायी रूप से कार्यवाहक पद पर बने हुए हैं। राजनीतिक अस्थिरता की इस स्थिति ने नेपाल की भविष्य की दिशा को धुंधला कर दिया है।

सिर्फ राजनीति ही नहीं, बल्कि नेपाल की अर्थव्यवस्था भी इस संकट की चपेट में है। भारत के साथ व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विशेषकर प्याज़ और सोयाबीन खल के निर्यात पर रोक लगने से भारतीय राज्यों जैसे मध्य प्रदेश में कीमतें नीचे गिर गईं। इससे दोनों देशों के किसानों और व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। नेपाल का यह संकट केवल आंतरिक राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय असर भी देखने को मिल सकते हैं। सवाल यह है कि क्या नेपाल जल्द स्थिरता की ओर लौट पाएगा या यह उथल-पुथल लंबे समय तक जारी रहेगी। आने वाले हफ्ते देश के भविष्य के लिए निर्णायक होंगे।

केपी शर्मा ओली सरकार के पतन के बाद दो दिनों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद व्यवस्था बहाल करने के लिए काठमांडू की सड़कों पर गश्त कर रहे नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल बुधवार को नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को देश के अंतरिम मुख्य कार्यकारी के रूप में पदभार संभालने के लिए मनाने में सफल रहे।
Writer – Sita Sahay











