आधी रात का नाटकीय मोड़ – सत्ता समीकरण टूटे, कार्की का नाम आगे
नेपाल की राजनीति एक बार फिर अप्रत्याशित मोड़ पर आ खड़ी हुई है। आधी रात को हुए नाटकीय घटनाक्रम ने पूरे परिदृश्य को पलट दिया और अब पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे नज़र आ रही हैं। यह स्थिति उस समय बनी जब सत्ता संघर्ष के बीच प्रमुख दलों के बीच सहमति टूट गई और आखिरी क्षण में कार्की का नाम आगे बढ़ा दिया गया। सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं और अपने सख़्त फैसलों तथा बेबाक छवि के लिए जानी जाती हैं। राजनीति से सीधा नाता न होने के बावजूद उनका नाम सामने आना यह दर्शाता है कि नेपाल का जनमानस अब पारंपरिक नेताओं से हटकर ईमानदार और पारदर्शी नेतृत्व की तलाश में है।

न्यायपालिका से राजनीति तक – ईमानदारी और सख़्ती की छवि बनी ताक़त
इस घटनाक्रम ने नेपाल के राजनीतिक भविष्य को और भी पेचीदा बना दिया है। जहाँ एक ओर सत्ता में बैठे दलों के बीच जोड़-तोड़ की राजनीति जारी है, वहीं जनता में उम्मीद की किरण भी जागी है कि शायद अब कोई ऐसा नेतृत्व मिले जो भ्रष्टाचार और अस्थिरता की जड़ों पर चोट कर सके। कार्की का नाम सामने आना इस बात का संकेत है कि नेपाल की राजनीति में “नॉन-पॉलिटिकल फेस” की मांग तेजी से बढ़ रही है। यदि वह वास्तव में प्रधानमंत्री पद तक पहुँचती हैं तो यह नेपाल के लोकतांत्रिक इतिहास में एक अनोखा अध्याय होगा।

जनता की उम्मीदें बनाम दलों की जोड़-तोड़ – क्या आएगा नया राजनीतिक अध्याय?
फिलहाल, सत्ता समीकरण किस ओर झुकते हैं यह कहना मुश्किल है। मगर एक बात तय है—आधी रात के इस पलटवार ने नेपाल की राजनीति में नई हलचल मचा दी है और सुशीला कार्की अब बदलाव की प्रतीक बनकर उभरी हैं।
Writer – Sita Sahay











