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बाबा साहेब के योगदान पर विवादित बयानबाज़ी अनुचित – सुश्री मायावती जी

आजकल कुछ साधु-सन्त आए दिन सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए विवादित बयानबाज़ी करते रहते हैं। लेकिन यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर और भारतीय संविधान के निर्माण में उनके अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं होती। ऐसे में इनका कोई भी गलत या भ्रामक वक्तव्य समाज में भ्रम फैलाता है। बेहतर होगा कि जब जानकारी पूर्ण न हो, तो वे इस विषय में चुप रहें।

भारतीय संविधान और अंबेडकर का अमूल्य योगदान

भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसकी संरचना में बाबा साहेब अंबेडकर का नेतृत्व और मार्गदर्शन प्रमुख रहा। उन्होंने न केवल विधिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता जैसे मूल्यों को केंद्र में रखकर संविधान का निर्माण किया। यह केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि आधुनिक भारत का जीवन-दर्शन है। ऐसे में इसकी गरिमा पर संदेह करना या गलत टिप्पणी करना, हमारे लोकतंत्र की आत्मा को चोट पहुँचाने जैसा है।

मनुस्मृति का विरोध और सामाजिक न्याय

अंबेडकर और उनके अनुयायियों द्वारा मनुस्मृति का विरोध केवल परंपरा के विरोध के लिए नहीं था, बल्कि उसमें निहित जातिवादी और भेदभावपूर्ण व्यवस्थाओं के कारण था। मनुस्मृति ने सदियों तक समाज को ऊँच-नीच और छुआछूत की बेड़ियों में जकड़ कर रखा। बाबा साहेब ने इसे खुलकर चुनौती दी और समानता पर आधारित समाज की नींव रखने की दिशा में प्रयास किए। अतः जो लोग आज भी जातिवादी द्वेष की भावना से ग्रस्त हैं, उन्हें इस ऐतिहासिक तथ्य को समझना चाहिए।

विद्वता में अद्वितीय व्यक्तित्व

डॉ. अंबेडकर केवल संविधान निर्माता ही नहीं, बल्कि महान विद्वान, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और दूरद्रष्टा नेता थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक विषयों पर गहन अध्ययन किया और समाज को दिशा दी। उनकी विद्वता के सामने कोई भी साधु-सन्त या अन्य वक्ता टिक ही नहीं सकते। इसलिए यह आवश्यक है कि कोई भी व्यक्ति इस विषय में बोलने से पहले अपनी जानकारी और क्षमता को परखे।

एक नेक सलाह

समाज को तोड़ने वाले बयानों से बचकर हमें बाबा साहेब की शिक्षाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए। साधु-सन्तों का कार्य शांति, भाईचारे और धर्म की मर्यादा को आगे बढ़ाना है, न कि समाज में भ्रम और विवाद फैलाना। अतः यदि उन्हें बाबा साहेब के योगदान और विचारों की गहराई का ज्ञान नहीं है, तो बेहतर होगा कि वे इस विषय में मौन धारण करें। यही समाज और राष्ट्र के हित में सबसे बड़ी नेक सलाह होगी।

Writer – Sita Sahay

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