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जेवर एयरपोर्ट ✈️: उत्तर प्रदेश के विकास की नई उड़ान

जेवर एयरपोर्ट (Noida International Airport) उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर के विकास का नया केंद्र है। मोदी जी 30 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करेंगे। जानिए कैसे यह एयरपोर्ट रोजगार, पर्यटन, उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर को नई उड़ान देगा।

उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर जिला 30 अक्टूबर को एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनेगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट) का उद्घाटन करेंगे। यह एयरपोर्ट दिल्ली-एनसीआर की भीड़भाड़ कम करने और यात्रियों को एक आधुनिक और बेहतर विकल्प देने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है। जेवर एयरपोर्ट न केवल देश का बल्कि एशिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक बनने की क्षमता रखता है। इसका पहला चरण पूरा होते ही एयरपोर्ट की सालाना क्षमता 12 मिलियन यात्रियों की होगी, जबकि लंबे समय में इसे 70 मिलियन यात्रियों तक विस्तारित किया जाएगा। इस उद्घाटन के लगभग 45 दिन बाद वाणिज्यिक उड़ानें शुरू हो जाएँगी और पहले चरण में एयरपोर्ट 10 प्रमुख शहरों से जुड़ने के लिए तैयार होगा।

उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर जिला आने वाले वर्षों में देश और दुनिया की नज़रों का केंद्र बनने वाला है। इसकी सबसे बड़ी वजह है नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट)। यमुना एक्सप्रेसवे के पास बन रहा यह एयरपोर्ट न सिर्फ भारत का बल्कि एशिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक होगा। इसका निर्माण उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार दोनों की प्राथमिकता में शामिल है। यह एयरपोर्ट दिल्ली-एनसीआर की भीड़भाड़ को कम करेगा और यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव देगा।

आज की तेज़ी से बदलती दुनिया में एयरपोर्ट केवल यात्रियों के लिए यात्रा सुविधा नहीं बल्कि आर्थिक और औद्योगिक विकास का केंद्र बन जाते हैं। जिस तरह हैदराबाद का राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट या मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट अपने-अपने शहरों की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रहे हैं, उसी तरह जेवर एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का नया इंजन बनने जा रहा है। यहां से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे व्यापार, पर्यटन और निवेश में गुणात्मक वृद्धि होगी।

स्थानीय लोगों और युवाओं के लिए सुनहरा अवसर

जेवर एयरपोर्ट के फायदे सबसे पहले स्थानीय निवासियों और युवाओं को मिलने वाले हैं। एयरपोर्ट के निर्माण और संचालन के दौरान लाखों नौकरियां उत्पन्न होंगी। इनमें इंजीनियर, आर्किटेक्ट, निर्माण मजदूर, टेक्नीशियन, एयरलाइंस स्टाफ, सिक्योरिटी गार्ड, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर, होटल मैनेजमेंट और परिवहन से जुड़े पेशेवरों के लिए रोज़गार के अनगिनत अवसर होंगे। इतना ही नहीं, एयरपोर्ट के पास के गांवों और कस्बों में छोटे दुकानदार, टैक्सी सेवा प्रदाता, ट्रैवल एजेंट और स्थानीय होटल-रेस्टोरेंट भी प्रत्यक्ष लाभान्वित होंगे।

गांव के किसानों को भी इसका बड़ा फायदा मिलेगा। जिन किसानों की ज़मीनें एयरपोर्ट के आसपास हैं, उनकी संपत्ति का मूल्य कई गुना बढ़ चुका है। पहले जो ज़मीन साधारण खेती के लिए इस्तेमाल होती थी, वह अब औद्योगिक और वाणिज्यिक उपयोग में आ रही है। इस बदलाव से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। साथ ही, स्थानीय युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम भी शुरू किए जा रहे हैं, ताकि वे एयरपोर्ट से जुड़ी नौकरियों में आसानी से शामिल हो सकें।

ज़िले और आस-पास के क्षेत्रों का विकास

गौतमबुद्ध नगर और आस-पास के ज़िलों के लिए जेवर एयरपोर्ट एक गेम-चेंजर साबित होगा। अलीगढ़, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा और मेरठ जैसे शहर इस एयरपोर्ट से बेहतर तरीके से जुड़ेंगे। इसका सबसे बड़ा असर पर्यटन क्षेत्र में देखने को मिलेगा। आगरा का ताजमहल और मथुरा-वृंदावन के धार्मिक स्थल हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, लेकिन अब पर्यटकों को और तेज़ व आरामदायक कनेक्टिविटी मिलेगी। इससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के पर्यटन में वृद्धि होगी।

यमुना एक्सप्रेसवे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) के साथ जेवर एयरपोर्ट का जुड़ना इस पूरे क्षेत्र को लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग हब में बदल देगा। यहां निवेशकों के लिए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध होगा, जिससे उद्योग-धंधों को तेजी से बढ़ावा मिलेगा। MSME सेक्टर को भी नए बाज़ार तक पहुंचने का अवसर मिलेगा। इससे न सिर्फ ज़िले की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि आसपास के हज़ारों छोटे-बड़े उद्योगों को भी बड़ा फायदा होगा।

उत्तर प्रदेश और भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

जेवर एयरपोर्ट केवल एक हवाई अड्डा नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश को ग्लोबल स्तर पर स्थापित करने वाला मेगा प्रोजेक्ट है। यह एयरपोर्ट कार्गो हब के रूप में भी विकसित होगा। इससे निर्यातकों और आयातकों को सीधा फायदा होगा। उत्तर प्रदेश के कई उद्योग जैसे हथकरघा, चमड़ा, पीतल और आईटी सेक्टर को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेज़ी से पहुंच मिलेगी।

लखनऊ, वाराणसी और कानपुर जैसे शहरों को भी इससे अप्रत्यक्ष लाभ होगा। उदाहरण के तौर पर, वाराणसी का पर्यटन, कानपुर का चमड़ा उद्योग और लखनऊ की चूड़ी-बुनाई इंडस्ट्री जेवर एयरपोर्ट के ज़रिए विदेशी बाज़ारों तक आसानी से पहुँच सकेगी। इसके अलावा, विदेशी निवेशक (FDI) उत्तर प्रदेश में निवेश करने के लिए और आकर्षित होंगे। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जाए। ऐसे में जेवर एयरपोर्ट इस लक्ष्य को हासिल करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाएगा। यह न केवल रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि पूरे उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था को गति देगा।

Writer – Sita Sahay

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