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भारत के 5 सबसे भ्रष्ट विभागों की लिस्ट — जानिए कौन है टॉप पर

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां संविधान पारदर्शिता और न्याय की गारंटी देता है, वहीं भ्रष्टाचार एक ऐसा दीमक बन चुका है जो सिस्टम की जड़ें खोखली कर रहा है। चाहे वह सरकारी दफ्तर हो, पुलिस स्टेशन हो या अस्पताल — आम आदमी को कहीं न कहीं रिश्वत, सिफारिश और देरी का सामना करना ही पड़ता है। Transparency International और Local Circles जैसी संस्थाओं के सर्वे के अनुसार, भारत दुनिया के सबसे अधिक भ्रष्ट देशों में शामिल है, जहाँ लगभग 39% नागरिकों ने किसी न किसी रूप में रिश्वत दी है।

भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं? जानिए 2025 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के 5 सबसे भ्रष्ट सरकारी विभागों की पूरी लिस्ट — पुलिस विभाग, भूमि व रजिस्ट्री, स्वास्थ्य सेवा, रेलवे-पब्लिक वर्क्स और गृह मंत्रालय। पढ़िए कैसे रिश्वत, सिफारिश और सिस्टम की कमजोरी आम नागरिकों को प्रभावित कर रही है। यह ब्लॉग आपको बताएगा कौन-सा विभाग है सबसे भ्रष्ट और किन सुधारों से भारत को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाया जा सकता है।

आइए जानते हैं भारत के 5 सबसे भ्रष्ट विभाग, जो भ्रष्टाचार की रैंकिंग में टॉप पर हैं —

पुलिस विभाग – “Law & Order में घुटती ईमानदारी”

भारत में पुलिस विभाग को सबसे भ्रष्ट सरकारी संस्था माना गया है। Transparency International India के सर्वे में पाया गया कि 51% नागरिकों ने स्वीकार किया कि उन्हें पुलिस कार्य में रिश्वत देनी पड़ी। पुलिस विभाग से जुड़ी आम शिकायतें हैं —

  • एफआईआर दर्ज करने में रिश्वत लेना,
  • राजनीतिक दबाव में केस मोड़ना,
  • अपराधियों से सांठगांठ रखना।

CVC (Central Vigilance Commission) की 2023 रिपोर्ट में बताया गया कि पुलिस व गृह मंत्रालय के कर्मचारियों पर सबसे अधिक शिकायतें दर्ज हुईं। इससे यह स्पष्ट है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखने वाली एजेंसी खुद ही भ्रष्टाचार के घेरे में है। पुलिस विभाग में सुधार के लिए ई-एफआईआर सिस्टम, बॉडी कैमरा मॉनिटरिंग, और जवाबदेही बढ़ाने की आवश्यकता है।

भूमि एवं रजिस्ट्रीकरण विभाग – “Land Dealings में लाचारी और लूट”

भूमि और संपत्ति रजिस्ट्री से जुड़ा विभाग आम नागरिकों के लिए सबसे मुश्किल विभागों में गिना जाता है।
Economics Times की रिपोर्ट (2023) के अनुसार, 36% लोगों ने माना कि उन्हें प्रॉपर्टी रजिस्ट्री या जमीन से जुड़े काम में रिश्वत देनी पड़ी। इस विभाग में भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण हैं:

  • जटिल प्रक्रिया,
  • अधिकारी-कर्मचारियों की मनमानी,
  • फर्जी दस्तावेजों का खेल,
  • और जमीनी विवादों में राजनीतिक हस्तक्षेप।

CMS India की रिपोर्ट बताती है कि भूमि प्रशासन और रजिस्ट्री सिस्टम में सबसे ज्यादा “facilitation money” यानी सुविधा शुल्क लिया जाता है। यह भ्रष्टाचार ग्रामीण इलाकों में ज्यादा गहराई तक फैला है, जहाँ गरीब किसान अपनी ही जमीन के कागज़ के लिए महीनों तक चक्कर लगाते रहते हैं। इस विभाग में सुधार के लिए Digital Land Record System, Online Registry और RTI पारदर्शिता को मजबूत बनाना जरूरी है।

स्वास्थ्य विभाग – “Health Sector में मुनाफे का गंदा खेल”

स्वास्थ्य सेवा एक ऐसा क्षेत्र है जो सीधे लोगों की जिंदगी से जुड़ा है, लेकिन यहां भी भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें गहरी जमा ली हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के स्वास्थ्य बजट का लगभग 20% हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। Local Circles के सर्वे में 25% नागरिकों ने माना कि उन्हें सरकारी अस्पतालों में इलाज या दवा पाने के लिए “कुछ देना पड़ा।”
स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के मुख्य कारण हैं:

  • अस्पतालों में दवाओं की कालाबाज़ारी,
  • डॉक्टरों की अनुपस्थिति,
  • नकली रिपोर्ट बनवाना,
  • और टेंडर आवंटन में घोटाले।

कोविड-19 महामारी के दौरान भी कई राज्यों में PPE Kit और Vaccine Procurement में भ्रष्टाचार के बड़े मामले सामने आए।
स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता के लिए e-Hospital System, Patient Feedback Portal और CAG ऑडिट जैसी पहल को मजबूत करना जरूरी है।

रेलवे एवं लोक निर्माण विभाग – “Infrastructure की कमजोर नींव”

Railways और Public Works Department (PWD) देश की रीढ़ हैं, लेकिन यहाँ भी भ्रष्टाचार की दर बेहद ऊँची है।
CVC के अनुसार, रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ 2023 में सबसे अधिक भ्रष्टाचार शिकायतें दर्ज की गईं।
बड़ी निर्माण परियोजनाओं में commission system आम बात है, जहाँ ठेकेदारों को काम दिलाने के लिए भारी रिश्वत दी जाती है।

भारतीय रेलवे में भ्रष्टाचार के प्रमुख क्षेत्र हैं —

  • टिकट बुकिंग और कोटा व्यवस्था,
  • ठेकों का आवंटन,
  • माल गाड़ियों की हेराफेरी,
  • और निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग।

इसी तरह, PWD में सड़क और पुल निर्माण में अकसर घटिया क्वालिटी की सामग्री लगाई जाती है जिससे जनता का पैसा बर्बाद होता है।
2019 की CAG रिपोर्ट में बताया गया कि कई राज्यों में PWD प्रोजेक्ट्स की 30% लागत भ्रष्टाचार में चली जाती है। इन विभागों में सुधार के लिए Tender Transparency Portal, Third Party Audit, और Real-Time Monitoring System जरूरी है।

गृह मंत्रालय और केंद्रीय सरकारी विभाग – “सत्ता के गलियारों में घोटाले”

केंद्र सरकार के मंत्रालयों में भी भ्रष्टाचार एक पुरानी बीमारी बन चुका है।
CVC की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 46,643 शिकायतें दर्ज हुईं, जो किसी भी मंत्रालय के मुकाबले सबसे ज्यादा थीं।

इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं —

  • मंत्रालय स्तर पर ट्रांसफर-पोस्टिंग में रिश्वत,
  • ठेकों का बंटवारा,
  • और केंद्रीय योजनाओं के फंड में गड़बड़ी।

कई बड़े घोटाले — जैसे 2G, CWG, कोयला घोटाला — इसी वर्ग में आते हैं जहाँ सत्ता के प्रभाव से भ्रष्टाचार को पनाह मिली।
हालांकि सरकार ने Centralized Vigilance Portal और Digital Complaint Redressal System शुरू किए हैं, परंतु इनका क्रियान्वयन जमीनी स्तर तक नहीं हो पाया है। अगर देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है तो उच्च स्तरीय जवाबदेही, लोकपाल की सक्रिय भूमिका और ई-गवर्नेंस मॉडल को और मजबूत बनाना होगा।

निष्कर्ष – “भ्रष्टाचार की जड़ें और समाधान”

भारत के इन 5 प्रमुख विभागों — पुलिस, भूमि-रजिस्ट्री, स्वास्थ्य, रेलवे-पब्लिक वर्क्स, और गृह मंत्रालय — में भ्रष्टाचार का फैलाव इतना गहरा है कि यह देश की अर्थव्यवस्था और जनता के भरोसे को तोड़ रहा है। Transparency International की रिपोर्ट बताती है कि भारत का Corruption Perception Index (CPI) स्कोर 2024 में सिर्फ 39/100 रहा, जो वैश्विक स्तर पर बहुत कम है।

  • भ्रष्टाचार का प्रभाव सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है —
  • गरीब और मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है,
  • सरकारी योजनाएँ अपने असली लाभार्थियों तक नहीं पहुँचतीं,
  • और जनता का सिस्टम पर भरोसा कम होता है।

समाधान के रूप में —

  1. ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना,
  2. लोकपाल/लोकायुक्त संस्थाओं को मज़बूत बनाना,
  3. जनभागीदारी आधारित पारदर्शिता लाना,
  4. और भ्रष्ट कर्मचारियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करना।

यदि यह फोटो में दर्शाए गए चित्र व जानकारी, कदम उठाए जाएँ तो “भ्रष्टाचार मुक्त भारत” केवल सपना नहीं, बल्कि वास्तविकता बन सकता है।

Writer – Sita Sahay

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