भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी आज एक नए मोड़ पर खड़ी है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे ने इस रिश्ते को और मजबूत किया है। इस मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान ने दोनों देशों की भविष्य की दिशा साफ कर दी है—चाहे वह रक्षा सहयोग हो, व्यापार हो, या अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत का बढ़ता प्रभाव।
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1. भारत-रूस व्यापार: 2030 तक $100 अरब का लक्ष्य
भारत और रूस ने अपने आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाई देने का निर्णय लिया है। दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह लक्ष्य चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन असंभव बिलकुल नहीं।
- क्यों है $100 अरब का लक्ष्य अहम?
- बढ़ते वैश्विक तनावों के बीच नए भरोसेमंद व्यापारिक साझेदारों की आवश्यकता
- ऊर्जा, फार्मा, हीरा व्यापार, और कृषि उत्पादों में बड़े अवसर
- रूस के लिए एशिया में भरोसेमंद बाजार और भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा
भारत विशेष रूप से सस्ती ऊर्जा, कोयला, खाद, और तेल के लिए रूस को महत्वपूर्ण साझेदार मानता है। वहीं रूस भी भारतीय फार्मा, तकनीकी सेवाओं, और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को विस्तार देने में रुचि रखता है।

2. नेशनल करेंसी सेटलमेंट: डॉलर पर निर्भरता कम करने की कोशिश
पुतिन के इस दौरे में एक बड़ा संदेश था—नेशनल करेंसी में व्यापार सेटलमेंट को बढ़ावा देना। यानी भारत रूस के साथ व्यापार में रुपया और रूबल का उपयोग बढ़ाएगा, ताकि डॉलर पर निर्भरता घटे।
- राष्ट्रीय मुद्रा सेटलमेंट के फायदे
- पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच व्यापार आसान
- भुगतान में देरी और ट्रांजैक्शन समस्याओं का समाधान
- दोनों देशों की वित्तीय स्वतंत्रता में बढ़ोतरी
- यह कदम एशियाई देशों में “डॉलर-फ्री ट्रेडिंग” की नई दिशा तय कर सकता है।

3. ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा सहयोग: भारत में बनेगी आधुनिक सैन्य तकनीक
पुतिन के दौरे की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है—रक्षा उत्पादन में संयुक्त सहयोग। भारत लंबे समय से रूस का सबसे बड़ा रक्षा भागीदार रहा है, और अब यह साझेदारी सिर्फ आयात तक सीमित नहीं रह गई है।
- संयुक्त बयान में क्या हुआ?
- भारत में हेलिकॉप्टर, स्पेयर पार्ट्स, और मिसाइल सिस्टम का निर्माण
- रक्षा उपकरणों की समय पर सप्लाई के लिए नया मैकेनिज्म
- भारतीय प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी
- हाई-टेक रक्षा तकनीक ट्रांसफर पर सहमति
“Make in India Defence” मॉडल भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि देश को रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित भी करेगा।

4. UNSC में भारत को रूस का स्पष्ट समर्थन
भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है। रूस ने एक बार फिर से भारत के इस दावे का खुलकर समर्थन किया है।
- रूस ने क्या कहा?
- रूस ने दोहराया कि भारत जैसे बड़े लोकतंत्र, बड़ी अर्थव्यवस्था और जिम्मेदार वैश्विक शक्ति को UNSC में स्थायी सदस्य बनना चाहिए।
- यह समर्थन क्यों महत्वपूर्ण है?
- वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत
- UNSC रिफॉर्म की दिशा में मजबूत कदम
- G20 नेतृत्व और वैश्विक दक्षिण में भारत की भूमिका की पुष्टि
- यह समर्थन भारत को दुनिया के शक्ति-संतुलन में एक नई पहचान देता है।

5. ऊर्जा सहयोग: भारत की फ्यूल सिक्योरिटी का मजबूत आधार
रूस वर्तमान में भारत के लिए सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है। इस दौरे में ऊर्जा व्यापार को और अधिक स्थिर और दीर्घकालिक बनाने की रणनीति बनाई गई।
- फोकस क्षेत्रों
- दीर्घकालिक तेल सप्लाई
- LNG और गैस पाइपलाइन सहयोग
- न्यूक्लियर एनर्जी प्रोजेक्ट्स (कुडनकुलम जैसी परियोजनाएँ)
- यह सहयोग भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

6. एशिया में नया भू-राजनीतिक समीकरण
पुतिन का यह दौरा सिर्फ व्यापार या रक्षा तक सीमित नहीं है—यह एशिया में बदलते शक्ति-संतुलन का संकेत भी है।
रूस चीन पर अत्यधिक निर्भरता कम करना चाहता है और भारत इसके लिए सबसे विश्वसनीय भागीदार है। वहीं भारत भी अमेरिका और यूरोप के साथ संतुलन बनाए रखते हुए रूस को मजबूत रणनीतिक सहयोगी मानता है।
- मुख्य संकेत
- बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर कदम
- वैश्विक दक्षिण (Global South) में भारत-रूस की संयुक्त भूमिका
- यूरोप-एशिया कॉरिडोर में नई संभावनाएँ

7. पुतिन के दौरे का भारत के लिए सीधा संदेश
- पुतिन का यह दौरा संकेत देता है कि
- रूस भारत को एक विश्वसनीय, स्वतंत्र और संतुलित वैश्विक शक्ति के रूप में देखता है।
- भारत-रूस संबंध अब तेल और रक्षा के आगे बढ़कर बहु-आयामी साझेदारी बन चुके हैं।
- भारत की कूटनीति अब ग्लोबल लीडरशिप की तरफ बढ़ रही है, जिसका समर्थन रूस खुलकर कर रहा है।

निष्कर्ष: भारत-रूस संबंध भविष्य के नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं
पुतिन का भारत दौरा इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भारत-रूस साझेदारी बदलते समय के साथ और मजबूत हो रही है।
$100 अरब व्यापार लक्ष्य, नेशनल करेंसी ट्रेड, भारत में रक्षा उत्पादन, और UNSC में खुला समर्थन—ये सभी संकेत बताते हैं कि दोनों देश अगले दशक में एक नई रणनीतिक ऊंचाई छूने वाले हैं।
- भारत के लिए यह वह समय है जब
- उसकी अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ रही है
- उसकी वैश्विक नेतृत्व क्षमता को दुनिया मान रही है
- और उसके पुराने साझेदार, जैसे रूस, उसके साथ मिलकर भविष्य की नई दिशा तैयार कर रहे हैं।
Writer – Sita Sahay











