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उत्तर-प्रदेश में अपराध व जातिवाद और भ्रष्टाचार: एक बढ़ता हुआ संकट

उत्तर प्रदेश में हालिया NCRB और मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि लखनऊ में अपहरण और शहरी अपराध बढ़े हैं, कानपुर और गाज़ियाबाद में महिला सुरक्षा चिंताजनक श्रेणियों में हैं, तथा जातिवाद और भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दे नागरिकों के लिए बड़ी चुनौतियाँ बने हुए हैं — आवश्यक नीतिगत सुझावों के साथ।

पिछले पांच सालों में उत्तर प्रदेश में अपराध और भ्रष्टाचार की तस्वीर चिंता पैदा करने वाली रही है। NCRB की ताज़ा रिपोर्ट और मीडिया कवरेज़ से स्पष्ट है कि कुल अपराधों में सतही सुधार दिखने के बावजूद खास श्रेणियों—जैसे अपहरण, महिला अपराध और जातिगत अत्याचार—में गंभीर चुनौतियाँ बढ़ी हैं। उदाहरण के तौर पर लखनऊ शहर ने 2023 में बड़े नगरों में अपराध के मामलों में तीव्र उछाल देखा—लखनऊ में 2023 में लगभग 29,472 दर्ज मामले रिपोर्ट किये गए जो 2022 की तुलना में करीब 54% ज़्यादा थे; इसे विशेषज्ञ रिपोर्टों में पुलिस रजिस्ट्रेशन और डिजिटल FIR सिस्टम से भी जोड़ा गया है। यह वृद्धि दर्शाती है कि अपराधी प्रवृत्तियाँ शहरों के तेज़ विकास और जनसंख्या घनत्व के साथ बदल रही हैं।

लखनऊ — अपहरण और शहरी अपराध का हॉटस्पॉट

लखनऊ में अपहरण और अपहरण-प्रवृत्तियों में तेज़ इज़ाफ़ा देखा गया है—NCRB एवं स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार लखनऊ ने हत्या, बलात्कार, अपहरण और एसिड हमले जैसी श्रेणियों में अन्य बड़े शहरों की तुलना में अधिक मामले दर्ज किए हैं। 2023 के आँकड़ों में अपहरण और अघटनाएँ विशेष रूप से बढ़ी नज़र आईं; रिपोर्ट्स से पता चलता है कि लखनऊ ने कई अपराध हेड्स (murder, rape, kidnapping आदि) में अपने पड़ोसी महानगरों—जैसे गाज़ियाबाद और कानपुर—को पीछे छोड़ा। शहरी क्षेत्रों में बढती पर्यावरणीय जोखिम (जैसे माइग्रेशन, असमानता, और कम संसाधन वाले इलाकों में पुलिस कवरेज़ की कमी) अपहरण और ट्रैफ़िकिंग जैसी घटनाओं को बढ़ावा देती है। इसलिए शहरों में बेहतर इंटेलीजेंस, बीट-पोलिसिंग, और समुदाय-आधारित सुरक्षा पहलों की ज़रूरत भी बढ़ चुकी है।

महिला सुरक्षा और कानपुर—गाजियाबाद की स्थिति

देशव्यापी संदर्भ में 2023 में भारत में करीब 4.48 लाख (लगभग) क्राइम्स अगेंस्ट वूमेन दर्ज हुए; इनमें से सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में रही—यानी महिला सुरक्षा आज भी एक सबसे बड़ी चुनौती है। कानपुर और गाज़ियाबाद जैसा नामचीन शहर महिला अपराध की सूचियों में ऊपर रहा—कानपुर में महिला अपराध के दर्ज मामलों की संख्या चिंताजनक है और गाज़ियाबाद में यद्यपि कुल अपराध दर में गिरावट रिपोर्ट हुई, पर बलात्कार और साइबरक्राइम में इज़ाफ़ा हुआ। NCRB की रिपोर्ट बताती है कि ‘क्रूरता (Cruelty by husband/relatives)’, ‘अपहरण व अपहरण का प्रयास’, और ‘आशय भंग करने वाले हमले’ जैसी शिर्ष श्रेणियाँ बड़ी संख्या में हैं। साथ ही, अभियोग साबित करने और दोषसिद्धि में लंबी पीठ-समय (court pendency) जैसी समस्याएँ हैं — जिससे प्रभावितों को न्याय मिलने में देरी होती है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि केवल FIR दर्ज कराना ही काफी नहीं; आरोपियों के खिलाफ त्वरित चार्जशीटिंग और तेज़ मुकदमेबाज़ी जरूरी है।

जातिवाद, अनुसूचित जातियों पर अत्याचार और भ्रष्टाचार की चुनौती

जातिगत हिंसा और अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार उत्तर प्रदेश में गंभीर समस्या बने हुए हैं। हाल की रिपोर्टों में देश भर में अनुसूचित जातियों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या में हज़ारों की गिनती बताई गई—और कुछ रिपोर्टों के अनुसार UP में SC/ST अत्याचार के मामले उच्च स्थान पर रहे हैं। इसके साथ ही भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतें और लोक स्तर पर रिश्वत/बेरुखी की घटनाएँ नागरिकों का भरोसा खो रही हैं—स्थानीय सर्वेक्षणों और मीडिया रिपोर्ट्स में लोगों ने सरकारी सेवाओं में रिश्वत देने की शिकायतें साझा की हैं। भ्रष्टाचार के मामलों में CBI की कार्यवाही और राज्य-स्तरीय जांच एजेंसियों की कार्रवाइयाँ कुछ मामलों में आई हैं, पर आम नागरिकों के लिए तेज़, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन ही दीर्घकालिक समाधान है। जातिगत अत्याचारों के लिये सामाजिक सुधार, पाबंदियों का सख्त पालन, और मिनटों में सतर्कता/रिपोर्टिंग मैकेनिज़्म को मजबूत करना अनिवार्य है।

निष्कर्ष — समाधान और नीति सुझाव (संक्षेप में)

1. डेटा-ड्रिवन पुलिसिंग: NCRB और शहरवार आँकड़ों के आधार पर रिस्क-ज़ोन की पहचान और जीरो-टॉलरेंस पॉलिसी लागू करनी चाहिए। (जैसे लखनऊ में बीट-पोलिसिंग बढ़ाना) ।

2. महिला सुरक्षा तीव्र कवायद: चार्जशीटिंग का समय घटाना, स्पेशल कोर्ट्स, 24×7 हेल्पलाइन और स्थानीय स्तर पर ‘Mission Shakti’-प्रकार के जागरूकता व सुरक्षित-यात्रा प्रोग्राम लागू करना।

3. जातिगत अत्याचारों पर सख़्त प्रवर्तन: SC/ST (Prevention of Atrocities) कानूनों का तेज़ पालन, पीड़ितों के लिये त्वरित बैंकिंग/कानूनी सहायता और सामाजिक समावेशन पहल।

4. भ्रष्टाचार रोधी पारदर्शिता: डिजिटल-फाइलिंग, सरकारी सेवाओं में रियल-टाइम ट्रैकिंग और लोक शिकायत निवारण प्रणाली से दख़ल कम करना। सर्वे और ऑडिट के ज़रिये भ्रष्टाचार की रूट-कॉज़ पहचान कर नीतियाँ बनानी चाहिए।

Writer – Somvir Singh

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