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लोकतंत्र खतरे में है-

भारत में “लोकतंत्र” की दयनीय स्थिति – भारत एक बड़ा और विविध देश है, जो एक लोकतंत्र के रूप में संचालित होता है। देश में विभिन्न स्तरों पर लोगों की आवाज को समाज में सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्रिक संस्थाओं और ढांचों का उपयोग किया जाता है। यह एक अत्यंत मूल्यवान सम्पत्ति है, जिसे हम अपने देश में स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल तत्वों के रूप में समझते हैं। हालांकि, भारत के लोकतंत्र में कई दुष्प्रभाव भी हैं जो सामाजिक न्याय और समता को खतरे में डालते हैं। उदाहरण के लिए, धार्मिक और जातीय विवादों ने देश में विशाल संघर्ष का उत्पादन किया है, जो लोगों के बीच बंटवारे और हिंसा को बढ़ावा देता है। भ्रष्टाचार और अधिकारों का अभाव भी इस समस्या को बढ़ाते हैं। धन, सत्ता और शक्ति के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी असमानता और अन्याय के मामले हैं, जो समाज के साथ साथ देश के विकास को भी प्रभावित करते हैं।

भारत में लोकतंत्र को सुधारने के लिए, हमें अपने संविधान और नियमों के प्रति समर्पित रहने की आवश्यकता है। भारत में लोकतंत्र की स्थिति को ठीक करने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। शिक्षा – भारत में लोगों की शिक्षा का स्तर उच्च नहीं है। शिक्षित लोग ही समाज और देश को उन्नत बना सकते हैं। इसलिए, सरकार को शिक्षा प्रणाली को सुधारने और लोगों को शिक्षित करने के लिए उपयुक्त योजनाओं को शुरू करना चाहिए। भ्रष्टाचार का विरोध – भारत में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। सरकार को भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जानकारी को सही से समझने के लिए जाँच की प्रक्रिया में सुधार करने की आवश्यकता है। लोगों को भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। न्यायपालिका को सुधारना – न्यायपालिका को सुधारना भी लोकतंत्र को सुधारने के लिए आवश्यक है। अधिकारियों के जनता के प्रति निष्ठा को मजबूत बनाना और न्यायपालिका की गतिविधियों को सुधारना चाहिए।

इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया – समय दर समय कानून व नियम अनुसार चुनाव कराए जाते हैं वर्तमान समय में चुनाव ईवीएम यानी के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के द्वारा चुनाव कराए जाते हैं लेकिन देश में लगभग लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां इस ईवीएम के खिलाफ है और सत्तारूढ़ सरकार इसका दुरुपयोग करके सत्ता हथियाए हुए हैं यह जगजाहिर है अनेकों राज्यों में अनेकों क्षेत्रों में ऐसी त्रुटियां ऐसे तथ्य सामने आए हैं कि ईवीएम को हैक करके उसका दुरुपयोग किया जा रहा है ऐसे आरोप बार-बार लगते रहे हैं यही लोकतंत्र की हत्या है सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी को छोड़कर बाकी सभी पार्टियां इस ईवीएम के खिलाफ हैं I

लेकिन वर्तमान सरकार ने इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया को अंदर से खोखला बना दिया है और अपने पद का दुरुपयोग करके चुनाव आयोग की गरिमा को खत्म किया जा रहा है। जिससे कि देश में अघोषित आपातकाल जैसे हालात बने हुए हैं। योग्य व सुशील प्रत्याशी भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी पूरी तरह से नियम कानून संविधान का उल्लंघन कर के कार्य कर रही है। ऐसे आरोप बार-बार लगते रहे हैं बैलट पेपर की मांग लगभग सभी पार्टियां कर रही है लेकिन चुनाव आयोग इस पर कोई टिप्पणी नहीं दे पा रहा है वर्तमान सरकार ने उसे पंगु बना दिया है। एैसी परिस्थिति के चलते ही देश का लोकतंत्र खतरे में है।

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन – सीबीआई हमारे भारत देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन है लेकिन वर्तमान में इस एजेंसी को पिंजरे का तोता कहा जाता है ऐसा कहलवाने के लिए वर्तमान सरकार पूर्णतः जिम्मेदार है एजेंसी इसलिए बनाई जाती है कि बिना किसी दबाव बिना किसी के हस्तक्षेप के यह कार्य करे। लेकिन यह सत्तारूढ़ पार्टी इस जांच एजेंसी का दुरुपयोग करके अपने क्रिमिनल्स को बरी करा ले रही है और देश में जो इस एजेंसी की सर्वोच्चता की जो महत्वता थी जो रेपुटेशन थी उसको गिरा चुकी है खत्म कर चुकी है जैसे सरकार चाहेगी वैसे ही एजेंसी रिपोर्ट पेश करती है ऐसे आरोप बार-बार लगते रहे हैं जिससे देश की सर्वोच्च एजेंसी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रही है। वर्तमान सत्तारूढ़ दल इसका भरपूर दुरुपयोग कर रहा है पूरे सिस्टम को अंदर से खोखला बना दिया है। होता कुछ और है लेकिन दिखाया कुछ और जा रहा है। ऐसी स्थिति से ही देश का लोकतंत्र खतरे में है।

सुप्रीम कोर्ट – भारत देश की सर्वोच्च नयायपालिका सुप्रीम कोर्ट है और संविधान के दायरे में स्वतंत्र रूप से कार्य करती रही है लेकिन कुछ समय से यानी कि कुछ सालों से यह सर्वोच्च नयायपालिका स्वतंत्र रूप से अपना कार्य नहीं कर पा रही है वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करके देश की सर्वोच्च नयायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है और अब यह बात जगजाहिर हो चुकी है कि जो कमेटी है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह बता चुकी है देश की जनता को, कि देश का लोकतंत्र खतरे में है (ये सरकार पूरे सिस्टम को अपने अनुसार जैसे चाहे वैसे चला रही है) उसे बचा लिया जाना चाहिए आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते देश की सर्वोच्च नयायपालिका के जज न्याय की गुहार लगा रहे हैं। सरकार जैसे चाहे अपने पक्ष में निर्णय करा ले रही है क्योंकि चंद लोग सरकार की चाटुकारिता करने में लीन हैं।

सरकार को जनता के माध्यम से अपने कामों को स्पष्ट करने की जरूरत है – ताकि जनता सरकार के कामों का समझ सके और उनके द्वारा किए गए निर्णयों पर आश्वस्त रह सकें। सरकार को संविधान द्वारा निर्धारित अधिकारों का पालन करने के लिए सक्षम होना चाहिए। अधिकारों के साथ, नियमों का पालन करना भी सरकार की जिम्मेदारी होती है। सरकार को नियमों का पालन करने और उनके उल्लंघन करने वालों को सजा देने के लिए सक्षम होना चाहिए। सरकार को लोगों के द्वारा उठाए गए समस्याओं को हल करने के लिए भी सक्षम होना चाहिए। सरकार को लोगों के द्वारा उठाए गए मुद्दों को संभालने और उन्हें हल करने के लिए उनसे संवाद करने की जरूरत है। सरकार को खुले मन से सुनना चाहिए ताकि वह लोगों के द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान कर सके।

देश को सुचारु और नियंत्रित रूप से चलाने के लिए जिन विभागों की अति-आवश्यकता होती है, वही उनकी महत्ता व उनका सुचारू व स्वतंत्र रूप से कार्य संचालन करना अति महत्वपूर्ण है।  अंत में मैं यही कहूंगा कि हमारे भारत देश में जितने भी महत्वपूर्ण विभाग हैं जिसमें चाहे वह सर्वोच्च नयायपालिका हो चुनाव आयोग हो देश का संचालन करने वाला संविधान हो वर्तमान सरकार अपनी शक्ति व पदों का दुरुपयोग करके नियमों को ताक पर रखकर विभागों को अंदर ही अंदर खोखला बनाने में लगी हुई है न जाने कौन सी रणनीति के तहत यह सरकार कार्य कर रही है इनकी कार्यशैली से देश के प्रत्येक विभाग की गरिमा गिरती जा रही है और देश की आम जनता का भरोसा इन विभागों से और इस वर्तमान सरकार से उठ चुका है देश की स्थिति अघोषित आपातकाल जैसी है और देश का लोकतंत्र खतरे में है समय रहते अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसके घातक परिणाम सामने होंगे।

Writer – Somvir Singh

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