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“दिल्ली में दीवाली बनी मौत की दावत: सांसों में जहर, आसमान में धुआं!”

स्विस फर्म IQAir की रिपोर्ट में दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बनी। दीपावली के बाद राजधानी का AQI 1000 पार, हवा जहरीली। पटाखों, पराली और धूल से दिल्ली बनी गैस चेंबर। जानिए कैसे बढ़ रहा है खतरा और क्या है समाधान।

दिल्ली का दम घुटा – दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना राजधानी

    स्विस एयर क्वालिटी फर्म IQAir की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली (Delhi) अब दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर (World’s Most Polluted City) बन चुका है। रिपोर्ट में बताया गया कि दीपावली (Diwali 2025) के तुरंत बाद दिल्ली का AQI (Air Quality Index) 1000 के पार पहुंच गया — जो “Hazardous” स्तर से भी ऊपर है। इसका अर्थ है कि हवा में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि यह स्वस्थ व्यक्तियों को भी बीमार बना सकता है।
    दिल्ली में प्रदूषण के मुख्य कारणों में पटाखों का धुआं, वाहन उत्सर्जन, निर्माण कार्यों की धूल, और पराली जलाना (Stubble Burning) शामिल हैं। सर्दी के मौसम में ठंडी हवाएं और कम हवा की गति प्रदूषकों को नीचे रोक देती हैं, जिससे यह जहरीली हवा नागरिकों की सांसों में समा जाती है।

    दीपावली की खुशी में जहर – पटाखों का कहर और जिम्मेदारी की कमी

      हर साल दीवाली पर सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अपील के बावजूद लोगों द्वारा भारी मात्रा में पटाखे जलाए जाते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। दीपावली की रात दिल्ली के कई इलाकों में PM2.5 और PM10 का स्तर 700-900 µg/m³ तक पहुंच गया, जबकि WHO के मानक के अनुसार यह 25 µg/m³ से अधिक नहीं होना चाहिए।
      लोग भूल जाते हैं कि “दीपक जलाने की खुशी, धुआं नहीं” ही सच्ची परंपरा है। पटाखे कुछ मिनटों की रोशनी देते हैं लेकिन आने वाले कई दिनों तक हवा में जहर घोल जाते हैं। बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा या हृदय रोग से पीड़ित लोग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

      स्वास्थ्य पर गंभीर असर – हर सांस में खतरा

        दिल्ली में प्रदूषण का असर सिर्फ अस्थायी नहीं, बल्कि दीर्घकालिक है। AIIMS और SAFAR (System of Air Quality and Weather Forecasting And Research) की रिपोर्ट्स बताती हैं कि दिल्ली में रहने वाले हर तीसरे व्यक्ति को सांस से जुड़ी बीमारी का खतरा है। प्रदूषण से ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, हृदय रोग, स्ट्रोक, आंखों में जलन, त्वचा एलर्जी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
        National Health Portal के आंकड़ों के अनुसार, वायु प्रदूषण से भारत में हर साल लगभग 17 लाख से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें से बड़ा हिस्सा दिल्ली और NCR क्षेत्र से है। डॉक्टरों का कहना है कि लगातार जहरीली हवा में सांस लेना, रोज़ 20 सिगरेट पीने के बराबर है।

        समाधान क्या है? – जिम्मेदारी नागरिकों और सरकार दोनों की

          दिल्ली की इस भयावह स्थिति से निकलने के लिए केवल सरकारी प्रयास काफी नहीं हैं। नागरिकों को भी अपनी भूमिका समझनी होगी। कुछ मुख्य कदम जो तत्काल उठाने जरूरी हैं:

          • पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध और “Green Diwali” को बढ़ावा देना।
          • पब्लिक ट्रांसपोर्ट और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का उपयोग बढ़ाना।
          • निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण तकनीक लागू करना।
          • पराली जलाने के बजाय किसानों को बायो-डिकम्पोजर टेक्नोलॉजी से जोड़ना।
          • हर नागरिक को कम से कम एक पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिए।

          अगर हम अभी नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियों को हम सिर्फ जहरीली हवा और बीमारियां ही विरासत में देंगे।
          दिल्ली की चमक तब तक अधूरी रहेगी जब तक हवा में धुंआ नहीं, खुशबू होगी। इसलिए इस साल संकल्प लें — “प्रदूषण नहीं, समाधान जलाओ”।

          दिल्ली का प्रदूषण अब केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि एक मानव अस्तित्व का संकट (Human Survival Crisis) बन चुका है। अगर हम मिलकर जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, तो “भारत की राजधानी” जल्द ही “धुएं की राजधानी” कहलाएगी। दीपावली की असली रोशनी तभी लौटेगी जब हम पटाखों के बजाय पर्यावरण को रोशन करेंगे।

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          Writer – Sita Sahay

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