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“BSP का मिशन मुस्लिम भाईचारा: मायावती जी का नया सामाजिक समीकरण 2025”

BSP प्रेस नोट 2025: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष कु. मायावती ने मुस्लिम समाज को जोड़ने के लिए 7 अहम दिशा-निर्देश जारी किए। इस प्रेस नोट में उत्तर प्रदेश के 18 मंडलों में मुस्लिम भाईचारा संगठन के गठन, “Power and Post” के जरिए सामाजिक परिवर्तन, और आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारी को लेकर रणनीति बताई गई है। BSP ने सपा-कांग्रेस की नीतियों को असफल बताते हुए मुस्लिम समाज से सीधे पार्टी को समर्थन देने की अपील की है। मायावती ने मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) में सक्रिय भागीदारी का निर्देश भी दिया। यह पहल दलित-मुस्लिम एकता को नया राजनीतिक आयाम देने के साथ-साथ भाजपा को चुनौती देने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

मायावती जी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी 18 मंडलों में अर्थात प्रत्येक मंडल-स्तर मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन के तहत अब दलित व मुस्लिम दोनों समन्वयक नियुक्त किए गए हैं। यह संगठन मिलकर मुस्लिम समाज को बी.एस.पी. में जोड़ने व जागरूक करने का कार्य करेंगे। बैठक के दौरान सभी मुस्लिम भाईचारा संगठनों के पदाधिकारियों को विशेष दिशा-निर्देश दिए गए।

🔹 बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने मुस्लिम समाज को जोड़ने के लिए जारी किया विशेष प्रेस नोट, 2027 विधानसभा चुनावों से पहले बड़ा कदम।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया समीकरण बनता दिखाई दे रहा है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन कु. मायावती ने 29 अक्टूबर 2025 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें मुस्लिम समाज को पार्टी से जोड़ने के लिए सात महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए। यह कदम न केवल आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 को ध्यान में रखकर उठाया गया है, बल्कि इसका उद्देश्य दलित-मुस्लिम एकता को नया राजनीतिक आयाम देना भी है।

🟢 मायावती जी का नया सामाजिक मिशन

बहन मायावती हमेशा से “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” के सिद्धांत पर चलने की बात करती हैं। लेकिन इस बार बीएसपी ने मुस्लिम समाज को पार्टी की मुख्यधारा में लाने के लिए विशेष रणनीति बनाई है। लखनऊ से जारी इस प्रेस नोट में स्पष्ट कहा गया कि बीएसपी अब जाति और धर्म से ऊपर उठकर समानता, न्याय और भाईचारे के आधार पर अपने जनाधार को मजबूत करेगी।

🔵 प्रेस नोट के 7 मुख्य बिंदु (BSP Press Note 2025 Highlights)

1️⃣ मुस्लिम भाईचारा संगठन का गठन

बहन मायावती जी के नेतृत्व में बीएसपी ने उत्तर प्रदेश के 18 मंडलों में मुस्लिम भाईचारा संगठन बनाने की घोषणा की।
हर मंडल में दो सदस्यीय टीम गठित होगी जो मुस्लिम समाज से संपर्क कर छोटी-छोटी बैठकें करेगी और उन्हें बीएसपी से जोड़ने का काम करेगी।

2️⃣ जाति और धर्म से ऊपर उठने का आह्वान

प्रेस नोट में कहा गया है कि बीएसपी जाति या धार्मिक भेदभाव पर नहीं, बल्कि समानता और आपसी भाईचारे पर विश्वास करती है।
मायावती ने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे किसी भी बहकावे में आए बिना पार्टी की “सर्वजन हिताय नीति” को अपनाएँ।

3️⃣ बीएसपी का निष्पक्ष शासन और सामाजिक न्याय

बीएसपी ने अपने शासनकाल में कभी भी किसी धर्म या जाति के साथ भेदभाव नहीं किया।
पार्टी ने हमेशा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सिद्धांतों पर चलते हुए संविधान और समान अवसर की नीति को प्राथमिकता दी है।
यह संदेश पार्टी ने मुस्लिम समाज तक पहुँचाने का निर्णय लिया है।

4️⃣ ‘Power and Post’ के जरिए सामाजिक परिवर्तन

प्रेस नोट में यह भी उल्लेख किया गया कि बीएसपी समाज को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाकर “पावर और पोस्ट” के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाना चाहती है। विपक्षी दल इस मिशन को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बीएसपी इसे एक जनांदोलन में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है।

5️⃣ सपा-कांग्रेस की विफलता और मुस्लिम वोट

मायावती ने कहा कि अब समय आ गया है कि मुस्लिम समाज समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस जैसी पार्टियों से हटकर बीएसपी को समर्थन दे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पिछले कई चुनावों में मुस्लिमों के समर्थन के बावजूद सपा भाजपा को हराने में नाकाम रही, इसलिए अब नया विकल्प बनाना जरूरी है।

6️⃣ भाजपा को हराने की रणनीति

बीएसपी ने साफ कहा है कि मुस्लिम समाज को एकजुट होकर बीएसपी का साथ देना चाहिए ताकि भाजपा को सत्ता से हटाया जा सके।
मायावती का मानना है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ ही भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है।

7️⃣ मतदाता सूची में सक्रिय भूमिका – SIR प्रक्रिया

निर्वाचन आयोग द्वारा 27 अक्टूबर 2025 को घोषित “Special Intensive Revision (SIR)” प्रक्रिया का जिक्र भी प्रेस नोट में किया गया है। मायावती ने बीएसपी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे मतदाता सूची सुधार अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें ताकि पार्टी समर्थकों के नाम मतदाता सूची में दर्ज हों।

🟠 दलित-मुस्लिम एकता: बीएसपी की जीत का फॉर्मूला

मायावती का यह कदम न केवल मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करने की दिशा में है, बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक रणनीति भी है। दलित और मुस्लिम दोनों समुदाय राज्य की बड़ी आबादी हैं, और यदि ये दोनों एक साथ आएं तो उत्तर प्रदेश की सत्ता में निर्णायक बदलाव संभव है। बीएसपी इस समीकरण को “बहुजन एकता” के नए रूप में पेश कर रही है।

🟣 बीएसपी का इतिहास और मुस्लिम समाज के लिए कदम

बीएसपी का हमेशा से यह दावा रहा है कि उसने अपने शासनकाल में मुस्लिम समाज की सुरक्षा, शिक्षा और राजनीतिक भागीदारी को प्राथमिकता दी। मायावती सरकार ने अल्पसंख्यक विभाग को सक्रिय किया, मदरसा शिक्षा को प्रोत्साहन दिया और मुस्लिम बहुल इलाकों में विकास योजनाएँ लागू कीं। प्रेस नोट में यह भी कहा गया कि बीएसपी ही एक ऐसी पार्टी है जो “सुरक्षा, सम्मान और साझेदारी” तीनों पहलुओं पर मुस्लिम समाज को बराबर का हक देती है।

🔵 राजनीतिक विश्लेषण: 2027 की तैयारी

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रेस नोट बीएसपी के चुनावी अभियान की औपचारिक शुरुआत है।
सपा और कांग्रेस की कमजोर पकड़ को देखते हुए मायावती मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही हैं।
बीएसपी का यह संदेश स्पष्ट है – “दलित और मुस्लिम एक हों, तो सत्ता पर बहुजन का हक सुनिश्चित हो सकता है।”

🔶 निष्कर्ष

बीएसपी का यह प्रेस नोट न केवल पार्टी की दिशा तय करता है बल्कि यह संदेश भी देता है कि राजनीति में अब सामाजिक एकता ही सबसे बड़ा हथियार है। मायावती का यह नया अभियान मुस्लिम समाज को जोड़ने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया संतुलन बनाने की क्षमता रखता है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह “दलित-मुस्लिम गठजोड़” वास्तव में जमीनी स्तर पर प्रभाव डाल पाएगा या नहीं।

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Writer – Sita Sahay

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