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बिहार चुनाव 2025 — किसकी सियासत कितनी मजबूत?

बिहार चुनाव 2025 में सियासी हलचल तेज़ है। NDA, महागठबंधन और AAP समेत सभी पार्टियां अपनी रणनीति के साथ मैदान में उतर चुकी हैं। नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। बिहार की 243 सीटों पर वोटिंग नवंबर में होगी और बहुमत का आंकड़ा 122 है। विकास, रोजगार और प्रवासन जैसे मुद्दे इस चुनाव का केंद्र बने हैं। जानिए कौन सी पार्टी आगे है, क्या कहते हैं ताज़ा सर्वे और क्या बन सकता है बिहार का नया राजनीतिक समीकरण।

चुनाव का समय, पटल और आधार आंकड़े

बिहार विधानसभा (243 सीटें) के लिए 2025 का चुनाव दो चरणों में होंगे — 6 नवंबर और 11 नवंबर — और मतगणना व परिणाम 14 नवंबर 2025 को घोषित किए जाने हैं। राज्य में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या लगभग 74,355,976 दर्ज की जा चुकी है तथा एक पार्टी/गठबंधन के लिए बहुमत का आंकड़ा 122 सीटें है। चुनावी कैलेंडर, फेज़ और गणना की तिथियाँ चुनाव आयोग व मीडिया रिपोर्टों से सामने आई हैं। इन तारीखों और सीट-संख्या के अलावा चुनाव में लड़ रहे बड़े गठबंधनों का सीट-बाँटना भी तेज़ी से अंतिम रूप ले चुका है — NDA में BJP और JD(U) प्रमुख साझेदार के रूप में लगभग समान सीटें लड़ रहे हैं जबकि विपक्षी महागठबंधन में RJD प्रमुख चेहरा है। ये बुनियादी तथ्य चुनाव की रणनीति और प्रचार-प्रसार दोनों पर सीधा असर डालते हैं।

पार्टियों की तैयारी और सीट शेयरिंग — कौन किसके साथ?

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने सीट-शेयरिंग फाइनल की है — खबरों के अनुसार BJP और JD(U) प्रायः समान (प्रत्येक ~101) सीटों पर चुनाव लड़ने वाले हैं, साथ में अन्य छोटे घटक भी हैं। NDA ने सूचीबद्ध प्रत्याशियों और उप-भागीदारों के साथ मैदान तैयार कर लिया है और केंद्र-स्तरीय संसाधन व स्टार प्रचारकों का इस्तेमाल कर रहा है। इसके उलट महागठबंधन (MGB) में RJD का केंद्रीय स्थान है और पार्टी ने अपनी सीएम-फेस और प्रचार-रणनीति स्पष्ट की है; महागठबंधन ने कुछ सीटों पर ‘friendly fights’ (मित्रवत टकराव) की स्थिति रखी है, जिससे गठबंधन के भीतर समन्वय व प्रत्याशी चयन पर चर्चा जोर पकड़ रही है। इसकी वजह से कुछ इलाकों में प्रत्यक्ष टक्कर भी बन रही है जो नतीजे प्रभावित कर सकती है। इसी बीच आम आदमी पार्टी (AAP) ने खुले तौर पर घोषणा की कि वह पूरे 243 सीटों पर सीधे चुनाव लड़ेगी — यह कदम वोट कटवाने और तीसरे मोर्चे की भूमिका को जगा सकता है। इन सीट-आयोजन और एलायंस के निर्णयों ने चुनावी फिज़ा को निर्णायक बना दिया है।

किसकी जीत की सम्भावना? (कौन आगे है — आँकड़े और पोल्स)

किसी भी राज्य-चुनाव में जमीनी स्थिति, जातिगत समीकरण, स्थानीय नेताओं की पकड़, केन्द्र-राजनीति और विकास/वोटर-आश्वासन एक साथ मिलकर नतीजा तय करते हैं। हालिया सर्वे और मत-पूर्व (opinion) पोल्स ने NDA को थोड़ी बढ़त दर्शाई है — कुछ सर्वेक्षणों में NDA को महागठबंधन पर बढ़त में दिखाया गया है, हालांकि मत विभाजन, स्थानीय मुद्दे और आखिरी सप्ताह के प्रचार-प्रसार से परिणाम बदल सकते हैं। बिहार में रोज़गार, कृषि, प्रवासन और स्थानीय विकास के मुद्दे निर्णायक हैं — खासकर उन इलाकों में जहाँ प्रवासी श्रमिकों की संख्या अधिक है। साथ ही वोटर सूची में संशोधन और मतदान योग्य आबादी के व्यवहार ने भी चुनावी समीकरण बदला है: चुनाव आयोग की तैयारियों में वोटर-रोल रिवीजन और साथ में राज्य से बाहर काम करने वाले लगभग 75 लाख (7.5 million) प्रवासी नागरिकों का प्रभाव एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय रहा है — ये प्रवासन वोटर और उनका मतदान व्यवहार किस तरह लौट कर आएगा, यह भी नतीजे प्रभावित करेगा। कुल मिलाकर, फिलहाल कई मीडिया-पोल NDA को मामूली बढ़त दे रहे हैं, पर किसी भी वक्तीकरण के लिए अंतिम नतीजा ही निर्णायक होगा।

क्या देखना आवश्यक है — मुद्दे, रणनीतियाँ और अंतिम टीप्स

वोटिंग के अंतिम दिनों में ये बातें ध्यान रखने योग्य होंगी — (1) सीट-वार लड़ाइयाँ और ‘friendly fights’: महागठबंधन के भीतर कुछ सीटों पर मित्रवत मुकाबला होने से वोट बँट सकता है। (2) प्रधान मुद्दे: रोज़गार, किसान-आय, विकास-परियोजनाएँ, दलगत विवाद और कानून-व्यवस्था के लोकल मुद्दे हैं जो मतदाताओं को प्रभावित करेंगे। (3) प्रवासी वोट और वोटर-लिस्ट रिवीजन: जो लाखों प्रवासी काम के कारण राज्य के बाहर हैं, उनके नामांकन/वोटर सूचियों का अद्यतन और उनकी वापसी/मतदान पद्धति नतीजे पर असर डाल सकती है। (4) प्रचार-रणनीति और लोक-प्रभाव: बड़े नेताओं की रैलियाँ, मीडिया प्रचार और सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग मुद्दे आखिरी सप्ताह में ध्रुवीकरण कर सकते हैं। (5) पोल व सेंसरशिप: ऑब्जर्वेशन और पोल्स का अंतर हमेशा रहता है — इसलिए नतीजा घोषित होने तक किसी भी सर्वे को अंतिम मानकर निर्णय न लें।

अंत में — बिहार चुनाव 2025 में प्रतिस्पर्धा तीव्र है। अगर आप किसी विशेष जिले या सीट पर गहराई चाहते हैं (उदाहरण: पटना, दरभंगा, मुज़फ्फरपुर आदि), तो सीट-वार डेटा, पिछला परिणाम और वर्तमान कैंडिडेट लिस्ट देखकर और भी निश्‍चित विश्लेषण दिया जा सकता है। फिलहाल बड़े चित्र में NDA को कुछ पोल्स में बढ़त दिखती है, पर बिहार की सियासत में त्वरित बदलाव और स्थानीय समीकरण किसी भी समय नतीजे बदल सकते हैं — इसलिए 14 नवंबर 2025 के आधिकारिक परिणाम ही आख़िरी शब्द होंगे।

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Writer – Sita Sahay

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