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महानायक मान्यवर श्री कांशीराम साहब को कोटि कोटि नमन 🙏🏻

कांशीराम जी का जीवन केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि बहुजन समाज की चेतना का इतिहास है। उन्होंने सिखाया कि बदलाव किसी दान से नहीं, बल्कि संघर्ष से आता है।
उनकी विचारधारा आज भी हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो समाज में समानता, न्याय और आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ रहा है।
उनके दिए गए नारे और संदेश सदैव जीवित रहेंगे —
“राजनीतिक सत्ता ही मास्टर की चाबी है”,
“बहुजन उठो, संगठित हो जाओ, सत्ता हासिल करो” —
यही है कांशीराम जी की अमर विरासत, जो आने वाली पीढ़ियों को हमेशा मार्ग दिखाती रहेगी।

कांशीराम जी ने बहुजन समाज को आत्मबल और राजनीतिक चेतना दी। उनके नेतृत्व में BSP ने उत्तर प्रदेश और देशभर में एक नई राजनीतिक धारा को जन्म दिया। 1995 में मायावती जी के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता भी कांशीराम जी के संघर्ष और रणनीति से ही संभव हुआ। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने समाज को यह अहसास कराया कि — “हम कमज़ोर नहीं, बस असंगठित हैं।”
कांशीराम जी ने अपनी पूरी ज़िंदगी समाज सुधार के लिए समर्पित कर दी। 9 अक्टूबर 2006 को उन्होंने देह त्याग दी, लेकिन उनके विचार, आंदोलन और संदेश आज भी करोड़ों लोगों को प्रेरित करते हैं।
आज जब हम जाति, गरीबी और असमानता की बात करते हैं, तो कांशीराम जी की शिक्षाएँ पहले से भी अधिक प्रासंगिक लगती हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्ष के बिना सम्मान नहीं मिलता, और शिक्षा के बिना परिवर्तन असंभव है।

✅ जिनका स्वाभिमान मरा है वे ही ग़ुलाम है, इसलिये सिर्फ़ स्वाभिमानी लोग ही संघर्ष की परिभाषा समझते है, मैंने आंदोलन चलाना बाबासाहब आंबेडकर से सीखा और कैसे नहीं चलाना महाराष्ट्र के उनके मानने वालों से,

✅ आंदोलन में सबसे अहम भूमिका लीडरशिप(नेतृत्व) की होती है अगर आप किसी आंदोलन को कैसे नहीं चलाया जाना है नहीं जानते है, तो आप उसे कैसे चलाया जाना चाहिए नहीं जान पाएंगे।

✅ जो विरोध करते हैं कि यह सही नहीं हैं, मौका मिलने पर उन्हें बताना होगा कि सही क्या है, इतिहास बनाने वालों को इतिहास से सबक़ लेना बहुत ज़रूरी । अगर हमें इस देश का शासक बन कर बाबासाहब अम्बेडकर का सपना पूरा करना है तो हमें “दलित” (कमज़ोर) नहीं बल्कि बहुजन (बहुसंख्यक) बनना होगा,

✅ आज हमारे महापुरुष जिंदा नही है, हम लोग जिंदा है, इसलिए हम लोगो को उनके एजेंडा को लागू करना है और लागू करने के लिए उस एजेंडा को पहले अच्छी तरह समझना है।

✅ बाबासाहब की मूवमेंट एक शरीर है, जिसमे सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक ये जरूरी अंग है। जिसमे एक को भी छोड़ दिया जाए तो शरीर खराब हो जाएगा और बीमारी बढ़ जाएगी। इसलिए हमें सारी मूवमेंट को एक साथ आगे बढ़ाना है।

✅ जब आदमी ईमानदारी से काम करता है तो उसके परिणाम भी बेहतर आते है। इसलिए आप लोगो को भी मेरी राय है कि आप लोग भी अपना समय व्यर्थ न गवाए और काम करे। जब तुम ईमानदारी से काम करोगे तो कामयाबी तुम्हे सलाम करेगी।

Writer – Sita Sahay

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