आंबेडकर इन लंदन किताब अंग्रेजी में है और लंदन से प्रकाशित हुई है। किसी भी भारतीय के लिए यह गौरव की बात थी और विशेषकर उस व्यक्ति के लिए जिसका अपना कोई भी विदेशों में नहीं था और अपने देश में भी वह उपेक्षित था। भारत में अभी इसका प्रकाशन नहीं हुआ है। इसे जल्द ही भारत में प्रकाशित किया जाएगा और इसकी कीमत कम रखी जाएगी ताकि यह अधिक लोगों तक पहुंच सके। दुनियाभर में डॉ. आंबेडकर के संघर्षों और कार्यों मे दिलचस्पी लेने वालों के लिए यह एक बहुत महत्वपूर्ण किताब हैं।

आंबेडकर इन लंदन पुस्तक में एक अध्याय आंबेडकरवादी प्रोफेसर अमेरिका के अफ्रीकी मूल के केविन ब्राउन का है। उनके आलेख से पता चलता है कि अमेरिकी-अफ्रीकी समुदाय डॉ. आंबेडकर को कैसे देखता है। यह आलेख आंबेडकरवादी आंदोलन, अफ्रीकी-अमेरिकियों दलित अधिकारों, और अफ्रीकी-अमेरिकियों के मुद्दे पर काम करने की इच्छा रखने वालों के लिए अत्यंत जरूरी है। इसमे गोलमेज सम्मेलन में बाबा साहब के भाग लेने तथा अफ्रीकी मूल के आंबेडकरवादी नेताओं के साथ उनके संपर्कों पर भी प्रकाश डाला गया है। विशेषकर इसमें अमरीका में अफ्रीकी मूल के नेताओं और बुद्धिजीवियों की सोच व आलेखों का विवरण है, जो उन्होंने डॉ. आंबेडकर के गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने और उनके सवालों को लेकर उठाए गए थे।

आंबेडकर इन लंदन पुस्तक में एक लेख मे विस्तारपूर्वक उनकी पढ़ाई और फिर भारत लौटने पर उनके कानूनी लड़ाई के विषय मे बताया गया है। आंबेडकर एक विचारवान व्यक्ति थे और विचारधारा से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने जज बनने के ऑफर तक को ठुकरा दिया। यह जानकारी अभी भी पब्लिक डोमेन में बहुत कम है कि डॉ. आंबेडकर को हैदराबाद के निजाम ने हैदराबाद हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनने का ऑफर दिया था। डॉ. आंबेडकर ने इस ऑफर को भी ठुकरा दिया था। वह चाहते तो उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का जज बनाया जा सकता था। लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया और वह भी तब जब वे एक कमरे के फ्लैट में अत्यंत ही कठिन जीवन जी रहे थे। मुंबई में वर्ष 1928 में उन्होंने एक गरीब अध्यापक का मुकदमा लड़ा, जिसके विरोध में एक बड़ी पूंजीपति थे, जिसका केस जिन्ना लड़ रहे थे।

इस किताब में ब्रिटेन में जातिगत भेदभाव विरोधी कानून अभियान के साथ-साथ आंबेडकरवादियों ने कैसे संघर्ष किया, आंबेडकर संग्रहालय के मुद्दे और इसके लिए आंबेडकरवादियों ने कैसे संघर्ष किया, इसके ऊपर दो महत्वपूर्ण अध्याय शामिल हैं। आज हम लंदन में आंबेडकर म्यूजियम को साकार देख पा रहे हैं। आज लंदन में आंबेडकर संग्रहालय दुनिया भर से आने वाले लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है, जहां उन्हें बाबा साहब के संघर्ष की कहानी से रू-ब-रू होने का मौका मिलता है।
किसी भी भारतीय के लिए यह गौरव की बात थी और विशेषकर उस व्यक्ति के लिए जिसका अपना कोई भी विदेशों में नहीं था और अपने देश में भी वह उपेक्षित था।
Writer – Sita Sahay











