दिल्ली सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था को और मजबूत व जनहितैषी बनाने के लिए राजधानी के जिलों की संख्या 11 से बढ़ाकर 13 करने का फैसला लिया है। इस नई संरचना में एक पुराने जिले को समाप्त किया गया है, जबकि तीन नए जिले बनाए गए हैं। साथ ही, उप-मंडलों (Sub-Divisions) की संख्या भी 33 से बढ़ाकर 39 कर दी गई है। इस बदलाव का उद्देश्य प्रशासनिक कामकाज को विकेंद्रीकृत करना, सरकारी सेवाओं की पहुंच आसान बनाना और बढ़ती आबादी के अनुरूप बेहतर गवर्नेंस सुनिश्चित करना है।
देश की राजधानी दिल्ली लगातार बढ़ती आबादी, शहरीकरण और प्रशासनिक दबाव का सामना कर रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने एक अहम फैसला लिया है—अब दिल्ली में 11 की जगह 13 जिले होंगे। यह फैसला केवल जिलों की संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे प्रशासनिक सुधार, बेहतर सेवा वितरण और स्थानीय स्तर पर तेज निर्णय प्रक्रिया का बड़ा उद्देश्य है।
दिल्ली की पुरानी जिला व्यवस्था – अब तक दिल्ली में कुल 11 जिले थे, जिनके अंतर्गत 33 उप-मंडल कार्यरत थे। समय के साथ कुछ जिलों में जनसंख्या का अत्यधिक दबाव बढ़ गया, जिससे प्रशासनिक कार्यों में देरी और नागरिकों को सेवाएं प्राप्त करने में कठिनाई होने लगी। कई क्षेत्रों में एक जिले के अंतर्गत बहुत बड़ा भौगोलिक क्षेत्र आ जाने से अधिकारी और जनता के बीच दूरी बढ़ती जा रही थी।
नई व्यवस्था के तहत नई जिला संरचना क्या है?
- कुल जिले: 11 से बढ़कर 13
- उप-मंडल: 33 से बढ़कर 39
- एक पुराना जिला: समाप्त
- तीन नए जिले: गठित
इस पुनर्गठन का मकसद प्रशासनिक इकाइयों को छोटा और प्रभावी बनाना है, ताकि हर क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार तेजी से फैसले लिए जा सकें।

दिल्ली के सभी 13 जिलों के नाम, नई अधिसूचना के अनुसार दिल्ली के 13 जिले इस प्रकार हैं:
1. सेंट्रल दिल्ली
2. नॉर्थ दिल्ली
3. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली
4. नॉर्थ वेस्ट दिल्ली
5. वेस्ट दिल्ली
6. साउथ दिल्ली
7. साउथ ईस्ट दिल्ली
8. ईस्ट दिल्ली
9. न्यू दिल्ली
10. शाहदरा
11. रोहिणी (नया जिला)
12. द्वारका (नया जिला)
13. नजफगढ़ (नया जिला)
(नोट: एक पुराने जिले को प्रशासनिक पुनर्संरचना के तहत समाप्त कर नए जिलों में समायोजित किया गया है।)
उप-मंडलों की संख्या बढ़ने का क्या मतलब है?
उप-मंडल प्रशासन की सबसे निचली लेकिन बेहद महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। इनकी संख्या 33 से बढ़ाकर 39 करने से:
- SDM कार्यालय नागरिकों के और नजदीक होंगे
- जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र जैसी सेवाएं तेजी से मिलेंगी
- भूमि विवाद, राजस्व मामलों और स्थानीय शिकायतों का निपटारा जल्दी होगा
- आम जनता को क्या फायदा होगा?
- इस बदलाव का सीधा लाभ दिल्ली के नागरिकों को मिलेगा:
- तेज प्रशासन: छोटे जिले, तेज फैसले
- कम भीड़: सरकारी दफ्तरों में दबाव घटेगा
- बेहतर पहुंच: अधिकारियों तक पहुंच आसान
- स्थानीय विकास: क्षेत्र-विशेष की जरूरतों पर फोकस
- सरकार का उद्देश्य और सोच
दिल्ली सरकार का मानना है कि जैसे-जैसे शहर फैल रहा है, वैसे-वैसे प्रशासनिक ढांचे में सुधार जरूरी है। नए जिले बनाने से:
- कानून-व्यवस्था की निगरानी बेहतर होगी
- आपदा प्रबंधन अधिक प्रभावी बनेगा
- शहरी योजनाओं का क्रियान्वयन तेज होगा
- राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

इस फैसले पर प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह कदम “गुड गवर्नेंस” की दिशा में बड़ा सुधार है। वहीं, कुछ राजनीतिक दलों ने इसे चुनावी दृष्टिकोण से जोड़कर देखा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय में इसका लाभ जनता को ही मिलेगा।
- भविष्य में क्या बदलाव संभव हैं?
- सूत्रों के अनुसार आने वाले समय में:
- डिजिटल प्रशासन को और मजबूत किया जाएगा
- जिलों के बीच संसाधनों का बेहतर बंटवारा होगा
- स्मार्ट सिटी और मास्टर प्लान से जुड़ी योजनाओं को नई जिला संरचना के अनुसार ढाला जाएगा
दिल्ली में 11 से 13 जिले करने का फैसला राजधानी के प्रशासनिक इतिहास में एक अहम मोड़ है। बढ़ती आबादी और शहरी चुनौतियों के बीच यह कदम प्रशासन को ज्यादा संवेदनशील, तेज और प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है। अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो दिल्ली के नागरिकों को सरकारी सेवाओं का अनुभव पहले से कहीं बेहतर मिलेगा।
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Writer – Sita Sahay










