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भारतीय रेलवे की सच्चाई : समस्याएँ, चुनौतियाँ और बढ़ती दुर्घटनाएँ

भारतीय रेलवे की वर्तमान चुनौतियाँ : विशाल नेटवर्क, कम संसाधन

भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, लेकिन इतना विशाल नेटवर्क कई बड़ी चुनौतियों का सामना करता है। सबसे बड़ी समस्या है पुरानी इंफ्रास्ट्रक्चर (Old Railway Infrastructure), जिसमें कई ट्रैक, सिग्नलिंग सिस्टम और पुल दशकों पुराने हैं। तेज़ी से बढ़ती आबादी और यात्रा की मांग के मुकाबले रेलवे का विस्तार इतनी गति से नहीं हो पा रहा है, जितनी ज़रूरत है।

इसके अलावा स्टाफ की कमी, मेंटेनेंस में देरी, समय पर मरम्मत न होना और बजट वितरण की जटिलताएँ भी समस्याओं को और बढ़ाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्टेशन और लाइनें अभी भी “क्रिटिकल ज़ोन” में आती हैं, जहाँ एहतियाती उपायों की आवश्यकता अधिक होती है। रेलवे आधुनिकीकरण पर काम कर रहा है, लेकिन ग्राउंड लेवल पर अभी भी ट्रैफिक कांगेशन, ओवररनिंग लाइनें, धीमी गति से अपग्रेड और टूट-फूट जैसी समस्याएँ लगातार सामने आती रहती हैं।

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रेलवे संचालन में प्रमुख समस्याएँ : सुरक्षा, मेंटेनेंस और मानव त्रुटियाँ

भारतीय रेलवे की सबसे बड़ी चिंता है सुरक्षा (Railway Safety)। भारत में कई दुर्घटनाएँ सीधे तौर पर गलत सिग्नलिंग, ओवरस्पीडिंग, ट्रैक फॉल्ट या मानव त्रुटि के कारण होती हैं। कई बार पुरानी मशीनें, आउटडेटेड सिग्नलिंग सिस्टम, थ्री-टियर चेकिंग की कमी, और मेंटेनेंस में देरी दुर्घटनाओं को जन्म दे देती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, कई दुर्घटनाएँ ट्रैक टूटने (Track Fracture) की वजह से होती हैं। गर्मी, ठंड और संरचना की कमजोरी के कारण ट्रैक पर डैमेज बन जाता है, और ट्रेनें तेज गति से गुजरते समय हादसा हो जाता है। कई बार लंबी ड्यूटी, थकान और मानव त्रुटि भी हादसों का कारण बनती है। लोको पायलट और स्टेशन मास्टरों पर काम का बोझ काफी अधिक होता है, जिससे ऑपरेटिंग सिस्टम कमजोर हो जाता है और गलतियाँ बढ़ जाती हैं।

जब तक रेलवे ऑटोमैटिक सिग्नलिंग, AI आधारित ट्रैक मॉनिटरिंग, हाई-टेक इंस्पेक्शन व्हीकल, और स्टाफ की संख्या बढ़ाने पर गंभीरता से काम नहीं करेगा, तब तक दुर्घटना दर को कम करना मुश्किल है।

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जनरल बोगियों और प्लेटफॉर्म की वास्तविक समस्या : भीड़, अव्यवस्था और असुरक्षा

भारत में सबसे अधिक परेशानी झेलने वाला वर्ग है जनरल बोगी (General Coach) में यात्रा करने वाला यात्री। यहाँ सब कुछ अनियंत्रित भीड़, धक्का-मुक्की, गंदगी और असुरक्षा का मिश्रण बन चुका है। कई बार जनरल बोगी में ओवरक्राउडिंग के कारण यात्री दरवाज़े तक लटकते हैं, जिससे हादसों का खतरा बढ़ जाता है।

पीक सीजन में तो हालत और भी खराब हो जाती है। वेंटिलेशन की कमी, शौचालय की खराब स्थिति, पानी की अनुपलब्धता, और सीटी-सीटी ट्रेडिंग जैसी समस्याएँ यात्रियों को परेशान करती हैं। इसी भीड़ के कारण प्लेटफॉर्म पर भी स्टाम्पीड, धक्का-मुक्की और गिरने जैसी घटनाएँ आम हैं। यहाँ तक कि कई बार प्लेटफॉर्म गैप में गिरने से यात्री घायल होते हैं। जबकि रेलवे की योजना है कि प्लेटफॉर्म को ऊँचा कर मानक ऊंचाई पर लाया जाए, लेकिन कई स्टेशनों पर अभी तक यह काम अधूरा है।

यदि रेलवे वास्तव में दुर्घटनाएँ कम करना चाहता है, तो पहले जनरल बोगियों की संख्या बढ़ानी होगी, प्लेटफॉर्म प्रबंधन सुधारना होगा और भीड़ नियंत्रण के लिए RPF की व्यवस्था मजबूत करनी होगी।

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रेलवे दुर्घटनाएँ : कारण, डेटा और रोकथाम का रास्ता

भारत में हर साल कई छोटी-बड़ी रेलवे दुर्घटनाएँ होती हैं—कहीं ट्रेन पटरी से उतर जाती है, कहीं दो ट्रेनें टकरा जाती हैं, तो कहीं मानव क्रॉसिंग पर लोग जान गंवा देते हैं। महत्वपूर्ण हादसों में आमतौर पर चार मुख्य कारण सामने आते हैं:

  • ट्रैक फेलियर – फ्रैक्चर, डैमेज, ओवरलोडिंग
  • सिग्नलिंग फेलियर – गलत सिग्नल, पुराने उपकरण, समय पर चेकिंग न होना
  • मानव त्रुटि (Human Error) – गलत ऑपरेशन, लोको पायलट की थकान
  • अनियंत्रित भीड़ व अनधिकृत क्रॉसिंग – भारत में 40% हादसे मानव क्रॉसिंग पर होते हैं

रेलवे ने हाल के वर्षों में कवच सिस्टम (Railway Kavach TCAS) लागू करना शुरू किया है, जो ट्रेनों को टक्कर से बचाने वाला सिस्टम है। लेकिन यह अभी बहुत छोटी दूरी पर लागू है और जरूरत है कि इसे पूरे नेटवर्क में तेजी से विस्तार दिया जाए।

इसके अलावा रेलवे ड्रोन मॉनिटरिंग, अल्ट्रासोनिक ट्रैक स्कैनिंग, हाई स्पीड कैमरा निरीक्षण, और AI अलर्ट सिस्टम की ओर बढ़ रहा है, जिससे भविष्य में हादसों में कमी आ सकती है।

  • दुर्घटनाओं को रोकने का असली समाधान है
  • इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड
  • पुराने ट्रैक का त्वरित नवीनीकरण
  • सिग्नलिंग का पूर्ण आधुनिकीकरण
  • भीड़ नियंत्रण और जनरल कोच की संख्या बढ़ाना
  • मानव क्रॉसिंग का शत-प्रतिशत उन्मूलन

जब तक रेलवे सुरक्षा को नंबर 1 प्राथमिकता नहीं देगा, तब तक नेटवर्क का सबसे कमजोर हिस्सा सामान्य यात्री ही रहेगा।

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Writer – Sita Sahay

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